सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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मुहब्बत के बाद.....

मुहब्बत हमारी ज़िन्दगी में आती है तो हमे बेहद खूबसूरत बना देती है , लेकिन जब यह हमारी ज़िन्दगी से वापस लौटती है तब यह हमे इस कदर बदसूरत बना जाती है कि हम खुदको भी इक नज़र देखना पसंद नही करते.....

जिन आँखों में रहते थे महबूब कभी
वहीं आज उदासियों का बसेरा है
जिन राहों में बिछी रहतीं थी पलके
वहीं आज मातमों ने डाला डेरा है

मुहब्बत निचोड़ ले जाती है खुशियां सारी....और ...दे जाती है....दर्द बेचैनी संग यादों कि क्यारी....जिसे पागल मन दिनरात सींचता है आंसू कि कतरों से....झुलसता है धुप से पानी में भींगता है ठोकर खा पत्थरों से लहू बहा वो हँसता है.....मुहब्बत कि गिरफ्त ऐसी...न वो जीता है न वो मरता है............................
मेरी नायिका......हंसती हँसाती गुमसुम हो गयी....मुहब्बत कि गलियो में जा वह बदल सी गयी.....करके अर्पण सर्वस्य अपना वो तृप अपनी मुहब्बत को कर न सकी.....बदल गयी उसकी दुनियां सारी मगर वो खुद बदल न सकी.....अथाह दर्द के सागर में वो तैरती है निरंतर ...गम अपना मगर वह किसी से बाँट न सकी.....आज भी उसकी वीरान आँखों में इंतज़ार है उस घड़ी कि जो लौटा लाये हंसी उसके लबों कि.....तस्वीर महबूब कि वो सिने से लगाए रहती है...आँखों में आंसू लिए दुआएं दिल से देती है....तन्हाई उसके दिल कि उसे रोज तिल तिल तड़पाती है....कभी तो खत्म होगी ये सज़ा यह सोच मन कि आस जगाये रखती है.........

न जाने कियूँ तेरी ओर दिल मेरा खिंचा चला जाये
तू नही मेरा फिर भी कियूँ यह दिल तुझी को चाहे




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5 comments:

Unknown said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (04-09-2016) को "आदमी बना रहा है मिसाइल" (चर्चा अंक-2455) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

निभा said...

सादर आभार आदरणीय शास्त्री जी

सुशील कुमार जोशी said...

मुहब्बत के वो
खूबसूरत पल
हमेशा खिले रहें
हसीन फूलों से
आस बनी रहे
खुश्बू बिखरी रहे
मुहब्बत के बाद
भी मुहब्बत के
दिल में झूले रहें ।

सुन्दर रचना ।

Mumbaimax said...

Sincerely appreciated ..

Mumbaimax said...

Sincerely appreciated ..

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