जहा सिर्फ मै होती हु सामने दुनिया होती है
सबकी निगाह्ये मेरी और
उनके हाथो में जैसे मेरी जीवन की डोर
अपनी जरुरत के अनुसार सब खिचे मुझे अपनी और
मेरी तड़प मेरी ख़ुशी बस भिगोते हैमेरे ही आँखों के कोर
कैसे लोग अपनी जिंदगी खुद जी पाते है
ये सोचते सोचते हो जाती है मेरी भोर ............
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