मासूम सा प्रेम मेरा
परिपक्य हो गया
वक़्त के थपेड़ो से
सख्त हो गया
किया न गया तुमसे
कदर इस दिल की
आंखे देखों मेरी
सुखकर बंजर हो गया
कहा न गया तुमसे
लफ्ज़ दो प्यार भरे
दर्द देखो मेरा पिघलकर
समंदर हो गया
तुम्हे सोच खुश
होता है दिल
वर्षों का प्यार जिसका
रेत हो गया
एक नाम था जो
तुमसे जुड़ा
देखो जीवन से तुम्हारे
वह आज मिट चला___|||
परिपक्य हो गया
वक़्त के थपेड़ो से
सख्त हो गया
किया न गया तुमसे
कदर इस दिल की
आंखे देखों मेरी
सुखकर बंजर हो गया
कहा न गया तुमसे
लफ्ज़ दो प्यार भरे
दर्द देखो मेरा पिघलकर
समंदर हो गया
तुम्हे सोच खुश
होता है दिल
वर्षों का प्यार जिसका
रेत हो गया
एक नाम था जो
तुमसे जुड़ा
देखो जीवन से तुम्हारे
वह आज मिट चला___|||
6 comments:
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्री जी
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है http://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/06/22.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
बहुत शुक्रिया आपका राकेश जी💐
बहुत सुन्दर...।
लफ्ज़ दो प्यार भरे
दर्द देखो मेरा पिघलकर
समंदर हो गया
तुम्हे सोच खुश
होता है दिल
वर्षों का प्यार जिसका
रेत हो गया
बहुत ख़ूब ! सुन्दर शब्द विन्यास , भावनाओं का सही तालमेल आभार। ''एकलव्य"
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