दिल के कैदख़ाने से रिहाई की कोई आस नहीं....मुज़रिम है उम्मीद ..........कुसूरवार है वफ़ा......रिहा होने की कोई गुंज़ाईस नही...!!!
तड़प तड़प के आहें भर भर जीवन यूँही बिताना है...तन्हाँ तन्हाँ तनहाई में...छुपके छुपके चुपके से गज़ले तेरी गुनगुनाना है.......चाँद तारे आसमां में....हमें भाते नही अब रातों में......रुलाते हैं मुझे जी भर ये....जब करते हैं याद इन्हें देख तुझे हम रातों में....दर्द का दरिया मिला है....आँखों को सज़ा मिला है....सदियाँ बीत गयी कुछ ऐसे...जन्मों से तू मुझे भुला है.......कुछ दिन की ये जिंदगानी बची है....कुछ पन्नों की अब कहानी बची है........दर्द की कुछ निशानी बची है......ज़िस्म को मिट जानी ही है....रूह मेरा पर यूँ .....कैद हैं तेरी यादों में ...करते घण्टों दिवारों से बातें हम अनजाने में......!!!#बसयूँही
18 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (25-08-2014) को "हमारा वज़ीफ़ा... " { चर्चामंच - 1716 } पर भी होगी।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शुक्रिया सर आभार आपका...
बहुत ही सुंदर लेखन व ब्लॉग , आ. धन्यवाद !
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शुक्रिया आभार आपका आशीष जी...
सुंदर प्रस्तुति
word verification hta len ..cmnt karne men dikkat hoti hai ...
विरह-भावों को समेटे,दिल को छूती रचना.
आपका आभार सुमन जी ...!!
शुक्रिया आपका ...!!
मैं कोशिश करुँगी :)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
शुक्रिया प्रतिभा जी...!!!
एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब
प्रणाम। मैं कोई लेखिका नहीं कभी कभी किसीके अल्फाजों में अपने ज़ज्बात ढूंढ़ ती हूँ। इस लेख को पढ़ कर मेरी आँखें नम हैं। कुछ रोज़ पहले इसकी कुछ पंक्तियाँ ट्विटर पर पढ़ी थी,लगा था मेरे एहसास किसने शब्दों में ढाल दिए?शुक्रिया..दिल के एहसास दिल तक पहुँचाने के लिए..अपने दिल और सेहत का ख्याल रखें..regards विजया
शुक्रिया संजय जी.......
शुक्रिया आपका....खुबसूरत टिप्णी के लिए...तहे दिल से आभार....!!
Ration Card
आपने बहुत अच्छा लेखा लिखा है, जिसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
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