सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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अँधेरा.....!!!!

थके मांदे.....टूटे फूटे......भीतर मरुस्थल जैसा सन्नाटा.....कहीं कोई भीतर संगीत नही बजता........सुर नही फूटते.......इक रहस्मय अँधेरा.....
घुटी हुई सी चीख़......मौत सा सुकूं......कहीं कोई नही......
हर मंज़र धुआँ....हर बेचैनी राख़..हर सोच बंज़र.....इक मोमबत्ती लिए हाथों में उतरते जा रहे क़दम अँधेरे तहखाने की सीढ़ियों से....कहाँ है अंत....नही जानता मन.....घुप अँधेरा.....कुछ नही दिखता कहीं....थकती सीं पलकें....कानों की बेज़ोर कोशिश किसी आहट को महसूस करने की.......लौट आती हर सदा......टकरा के इन अंधेरों से.......उतरते जा रहे हैं कदम किसी चुम्बकीय शक्ति के सहारे....शून्य परे मष्तिक में कोई संवेदना नही....कोई हलचल नही.....
थमा सा वक़्त....हाहाकार करती ख़ामोशी.....अँधेरे में ज़ब्त हो चूका जैसे हर नज़ारा.......कोई सोच नही.....कोई फ़िक्र नही.....
बिन अस्तित्व वो परछाई.......अंधेरों से लड़ती मोमबत्ती के सहारे....कुछ देखने की अथाह कोशिश में कदम दर कदम उतरती जा रही तहख़ाने में.....नही दिखता कुछ.....बस दिखता है घनघोर अँधेरा...मौत सा सुकूं.....कोई आहट नही....कोई दृश नही.......सिवाय अपने ही कदमों के कोई आवाज़ नही.......बस यूँही.....!!!

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13 comments:

Unknown said...

ओह!! बहुत मार्मिक।।😩😩

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (15-11-2014) को "मासूम किलकारी" {चर्चा - 1798} पर भी होगी।
--
चर्चा मंच के सभी पाठकों को
बालदिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

निभा said...

शुक्रिया सर आपको भी बधाई....चर्चा मंच में शामिल करने हेतु आभार....!!!

निभा said...

बस यूँही....!!!

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

.मौत सा सुकूं......कहीं कोई नही......
oh ..maarmik par satay

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

उम्दा और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
नयी पोस्ट@आंधियाँ भी चले और दिया भी जले

निभा said...

शुक्रिया संजय जी....!!!

निभा said...

आभार आशीष जी.....!!!

निभा said...

धन्यवाद सुनीता जी ....!!!

निभा said...

आभार आपका चतुर्वेदी जी अपनी उम्दा रचनाओं के आगे महज़ कुछ शब्द पसंद करने के लिए हृदय से धन्यवाद..!!!

अभिषेक शुक्ल said...

बेहतरीन प्रस्तुति.....

निभा said...

शुक्रिया अभिषेक जी...!!!

Sanjay Kumar Garg said...

सुन्दर मर्मस्पर्शी! साभार! आदरणीया निभा जी!
धरती की गोद

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