सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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कुछ पाना कुछ खोना....!!!!

कुछ पाना कुछ खोना और सोचते रहना पाना महत्वपूर्ण था या खोना ...
इसी के साथ जिंदगी का सफ़र चलता रहता है ...पाने की ख़ुशी लबों पे 
आते ही खो देने का गम आँखों से छलकने लगता है ...जिंदगी के हर  
मोड़ 
पर कोई न कोई कहानी हमें मज़बूर कर देती है एक  पात्र बनने को और 
हम ना चाहते हुए भी उस कहानी का हिस्सा बन जाते हैं ...कुछ इस कदर 
उस कहानी में डूब जाते हैं जहाँ हमारी चेतना विलुप्त हो जाती है 
हम भूल जाते हैं के अगले मोड़ पर एक और कहानी हमारे इंतज़ार में है .
जो हमें फिरसे अपना हिस्सा बना लेगी हम चाहें या ना चाहें ...जहाँ कुछ 
कहानियों का पात्र बन मन को सुकूं दिल को खुशियाँ मिलती है वही 
कुछ कहानियाँ सिर्फ और सिर्फ दुःख तकलीफ और आघात ही मिलता है 
कहानी तो बस कहानी होती  है हर कहानी एक सी हो ये ज़रूरी तो नहीं ...
और ये कहानियां तो वक़्त ही तय करता है किस मोड़ पे कौन सी कहानी 
आपके सामने रखी जाये ....हमें तो बस अभिनय करते जाना है और चलते 
जाना है ..खुशियों की कहानी में हँसना खुश होना दुखों की कहानियों में रोना 
बिलखना ....!!!!#बसयूँही 

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4 comments:

आशीष अवस्थी said...

सभी रचनाएं आपकी बेहतरीन हैं , लेखन भी खूबसूरत , धन्यवाद !
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

अच्छी गवेषणा है।

vj said...

प्रणाम दी। जीवन की इस सच्चाई को बेहद खुबसूरती से शब्दों में ढाला है आपने। हर कहानी चाहे ख़ुशी दे या आँसू,कहानी हमारी अपनी बन जाती है,जिसकी यादें हमेशा हमारे साथ चलती हैं,हम चाहे या ना चाहे।दी समय हो तो अपने fb inbox देख लीजियेगा।इंतज़ार रहेगा आपका। ख्याल रखें अपना। regards विजया

निभा said...

शुक्रिया आप सभी का ...!!

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