सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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बड़ा सलोना सा है...मेरा साजन......!!!!!!!

दिल से दिल मिलतें रहेंगे सदा 
बिछड़ भी जाएँ ग़र यूँ कोई  कभी 
रह जातीं हैं संग कशिश यादें सदा 
****************************
बड़ा सलोना सा है..............मेरा साजन
रहता है वो मेरे.............दिल के आँगन 

यादों में उनके अपनी......जिंदगी बितादूं 
उनकी चाहत को अपनी खुशियाँ लुटा दूँ 

सागर वो प्रेम का...........दिल का राजा 
जग में नहीं कोई..............उस सा दूजा 

इश्क वही हैं मेरी..........मोहब्बत वही हैं 
उनके चरणों में अर्पण.........संसार सारा 

दुनियाँ से न्यारे हैं वो.............सबके हैं प्यारे 
अपनी मुस्कान से जो सबको अपना बना लें 

मिठास आवाज़ में है.......लफ़्ज़ों में जादू 
कैसे रखे कोई अपने.......... दिल पे काबू 

उनके प्रेम से .........मन हुआ मेरा पावन
ज़न्मों का है जिनसे...............मेरा बंधन 




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4 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

यादों की कड़ी की आपने तो माला बना दी।
साधुवाद आपको।

निभा said...

शुक्रिया सर बस कोशिश करती हूँ ये जानते हुए भी के लेखन मेरे बस का नही..आप का आशीर्वाद साथ है इसलिए बिना सोचे समझे लिखती जा रही हूँ...!!आशीर्वाद बनाए रखें :)

आशीष अवस्थी said...

सुंदर रचना , निभा जी धन्यवाद !
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आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 5 . 9 . 2014 दिन शुक्रवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !

निभा said...

शुक्रिया आशीष जी .....!!!!

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