उड़ती थी वो आकाश में
करती थी बादलों की सवारी
चाँद तारों से करती बातें
खिल उठती कमल पुष्प की भांति
बारिश की बूंदों से खेलती
हवाओं के संग झूमती गाती
प्रेम ही प्रेम हर जगह दिखता
जहाँ भी उसकी नज़र थी जाती
________________________
आंख खुली
होश में वो जो आई
रेगिस्तान में खुदको पाई
प्यास ने ऐसी आग लगाई
मीठा सा एक झड़ना
अंखियों में समाई
लगी भागने लगी दौड़ने
झड़ने के नज़दीक पहुँचने
दूर दूर वो झड़ना होता जाये
पास न उसके वो पहुँच पाए
प्यास ने उसे यूँ भरमाया
करी साज़िश भ्रांति फैलाया
रही तड़पती यूँही बिलखती
बूंद बूंद को तरसती ....!!!#बसयूँही
करती थी बादलों की सवारी
चाँद तारों से करती बातें
खिल उठती कमल पुष्प की भांति
बारिश की बूंदों से खेलती
हवाओं के संग झूमती गाती
प्रेम ही प्रेम हर जगह दिखता
जहाँ भी उसकी नज़र थी जाती
________________________
आंख खुली
होश में वो जो आई
रेगिस्तान में खुदको पाई
प्यास ने ऐसी आग लगाई
मीठा सा एक झड़ना
अंखियों में समाई
लगी भागने लगी दौड़ने
झड़ने के नज़दीक पहुँचने
दूर दूर वो झड़ना होता जाये
पास न उसके वो पहुँच पाए
प्यास ने उसे यूँ भरमाया
करी साज़िश भ्रांति फैलाया
रही तड़पती यूँही बिलखती
बूंद बूंद को तरसती ....!!!#बसयूँही
1 comments:
बहुत ही खूबसूरत ✌
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