कुछ शब्द मेरे
भटकते रह गये,
अनंत आसमां में
तैरते रह गये,
वे शब्द न बन सके
ज़रूरत किसी की,
चाहत किसी की,
न आदत किसी की,
वे शब्द मेरे
दुत्कारे गये
किसी गरीब फटेहाल
मासूम बच्चे की तरह
डबडबाई आँखों से
दिशाहीन राहों पे
कहीं चले गयें
बसयूँही चले गये~!!!#बसयूँही
शब्द मेरे___|||
05:27 |
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4 comments:
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27-11-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2172 में दिया जाएगा
धन्यवाद
आभार आपका चर्चा मंच में स्थान देने के लिए~!!!
सुन्दर रचना ..........बधाई |
आप सभी का स्वागत है मेरे इस #ब्लॉग #हिन्दी #कविता #मंच के नये #पोस्ट #असहिष्णुता पर | ब्लॉग पर आये और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें |
http://hindikavitamanch.blogspot.in/2015/11/intolerance-vs-tolerance.html
http://kahaniyadilse.blogspot.in/2015/11/blog-post_24.html
धन्यवाद आपका~!!!
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