सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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निज स्वार्थ को तुम~दिल किसी का दुखाना न~!!!

अकेले में कभी
घबराना न
विघ्नों से तुम
विचलित होना न
काँटों से डरके तुम
राह को अपनी
बदलना न~
आये विपत्ति कैसी भी
धैर्य को अपने खोना न
निज स्वार्थ को तुम मगर
दिल किसी का दुखाना न~
हँसा ना सको ग़र किसी को तुम
आँख में आँसू किसी के लाना न
न कर सको ग़र रौशन राह किसी की
अंधेरों में किसी को  तुम धकेलना न~
पीड़ा को अपनी पी जाना तुम
स्वाद किसी को इसका चखाना न
क्षणिक जीत के ख़ातिर तुम
दीर्घ हार किसी को दिलाना न~
सूर्य सा तुम रहना शाश्वत
ओस की बूँद सा क्षणिक
होना न
देना जीवन भर प्राणउर्ज़ा
सभी को
पलभर की खुशियां
लुटाना न~!!! #बसयूँही

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4 comments:

Vithal Vyas said...

super this post

निभा said...

शुक्रिया____

Dr. pratibha sowaty said...

देना जीवन भर प्राणउर्ज़ा / शानदार !

निभा said...

धन्यवाद आपका :)

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