सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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तलाश

मैं भी चाहती हूँ
ईश्वर के साथ
लूडो खेलना
मेरी प्रबल इच्छा है
उनके साथ
ड्यूएट गाना,
मेरी लिस्ट
विशालकाय है
और मेरी क़िस्मत
का कद अजन्मा,
मेरी तलाश जारी है
मेरे लिए ईश्वर अभी
मरीचिका है
जो अपने होने का भ्रम
पैदा करता है,पर 
मेरे ग्रीवा को तर नही करता____

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4 comments:

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब .. पर इश्वर तो ऐसे ही करेगा ...खुद को ही उसे मानना होगा और खेलना होगा ...

Onkar said...

बहुत सुन्दर

Navin Bhardwaj said...

इस बेहतरीन लिखावट के लिए हृदय से आभार Appsguruji(जाने हिंदी में ढेरो mobile apps और internet से जुडी जानकारी )

Unknown said...

ऐसी पोस्ट बहुत कम पढ़ने मिलती हैं। धन्यवाद (WithOut Document, Loan Apply online वो भी घर बैठे )

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