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कोई किसी को
करके बर्बाद
कैसे हँस पाता है__?
कोई किसी को
देकर आंसू
कैसे सो पाता है__?
ले सहारा झूठ का
कोई कैसे जीत
जाता है__?
देकर धोखा
कोई किसी को
कैसे भूल जाता है__?
तोड़ हृदय
किसी का कोई
कैसे चैन पाता है__?
कोई सिखला दो
ये गुण हमे भी
रौंद खुशियाँ
किसी की कोई
कैसे जी पाता है__|||?
5 comments:
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है http://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/05/21.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
वाह !!बहुत सुन्दर...
कोई सिखला दो
ये गुण हमे भी
रौंद खुशियाँ
किसी की कोई
कैसे जी पाता है__|||?
सत्य बातों को सुन्दर ढंग से बताती रचना ,आभार। "एकलव्य"
कोई सिखानेवाला मिल भी जाए तो हम कहाँ सीख पाएँगे
इन गुणों को....अच्छा कटाक्ष है निभाजी
बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी का आपके सुन्दर शब्दों का
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