छिड़ चूका है युद्ध भयानक
और मैं अबकी इंतजार में हूँ
अपनी आत्मा के हार जाने का
अपनी इस घुटी हुई परिस्थितियों से
उबरने के लिए______
और मैं अबकी इंतजार में हूँ
अपनी आत्मा के हार जाने का
अपनी इस घुटी हुई परिस्थितियों से
उबरने के लिए______
मैंने किया है
इक युद्ध का आह्वान
अपने ही दिल और
आत्मा के मध्य
वो दिल जो जलता है
तड़पता है सक्षम होते हुए भी
हर रोज तिल तिल कर मरता है
कारण है एक शत्रु उस का
एक ही शरीर में जो रहता है
कहते हैं जिसे ईश्वर की अमानत
आत्मा कहलाता है
रोक देता है दुःख देने से जो
दर्द पीना सिखाता है
सह अपमान खोकर मान
पात्र हँसी का बना देता है
प्रेम की मरीचिका के पीछे
भागते भागते ,नर्क
जीवन को बना देता है
ये आत्मा ही है सबब इस दिल
के दर्द का, हर बार ही देकर
दलील कोई अपनों को बचा
ले जाता है ,इसे दिखता नही क्या
कष्ट मेरा यह क्यूँ बार बार व्यवहार
मुझसे सौतेलों सा करता है____??
आत्मा के मध्य
वो दिल जो जलता है
तड़पता है सक्षम होते हुए भी
हर रोज तिल तिल कर मरता है
कारण है एक शत्रु उस का
एक ही शरीर में जो रहता है
कहते हैं जिसे ईश्वर की अमानत
आत्मा कहलाता है
रोक देता है दुःख देने से जो
दर्द पीना सिखाता है
सह अपमान खोकर मान
पात्र हँसी का बना देता है
प्रेम की मरीचिका के पीछे
भागते भागते ,नर्क
जीवन को बना देता है
ये आत्मा ही है सबब इस दिल
के दर्द का, हर बार ही देकर
दलील कोई अपनों को बचा
ले जाता है ,इसे दिखता नही क्या
कष्ट मेरा यह क्यूँ बार बार व्यवहार
मुझसे सौतेलों सा करता है____??
2 comments:
बहुत सुंदर रचना👌
शुक्रिया 💐
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