सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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मालुम नहीं

क्यों हुआ मालुम नहीं
कैसे हुआ मालुम नहीं
कब हुआ मालुम नहीं
सवाल अनेक जवाब एक
जाने क्यूँ सोचती हूँ इतना
क्या होना इनसे मालुम नहीं मालुम नहीं ♥

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