सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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बस यूंही

अजब सी लगती है मुझे मेरी जिंदगी
जब कोई कहे नाराज तो नहीं हो
समझ नहीं पाऊ कैसे समझाऊ
नाराज़गी रूठना इनसे कोषों दुर हूँ
चाह के भी कभी इन लफ्जों का स्वाद
मेरी जुबान तक पहुँच ही ना पाया ♥

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