सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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अक्सर

बहुत खुश हूँ मै, जाने क्यूँ दर्द रहता है अक्सर
बहुत मजबूत हूँ मै, जाने क्यूँ कमज़ोर पर जाती हूँ अक्सर
बहुत हंसती हूँ मै, जाने क्यूँ मेरा दिल रोता है अक्सर
सबके साथ होती हूँ मै, जाने क्यूँ तनहाई ढुंढ़ती हूँ अक्सर ♥

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