सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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अँन्धेरा


कुछ हालात मेरी जिंदगी ऐसे आ जातें है जहां मै खुद को कभी नहीं देखना चाहती, बहुत कोशिश करती हूँ इनसे बचने की फिर भी उलझ जाती हूँ, हर बार की तरह जिंदगी मुझे.उन सवालों से घेड़ रही है जिनका जवाब है मेरे पास लेकिन लिखने को शब्द नहीं, समझाने को वाक्य नहीं, शब्दों को जोड़ के वाक्य बना भी दू तो कोई समझने को तैयार नहीं, इस परिस्थिति में कई दफ़ा उलझ चूँकि हूँ मै, जहाँ मेरी चैतना काम करना बन्द कर देती है एक अँधेरा कुआ मुझे अपनी ओर खिचता महसूस होता है, मैं बहुत तड़पती हूँ कुएँ से दूर रहने की जद्दोजहद मे रोती हूँ चिलाती हूँ, कोई मेरी आवाज़ नहीं सुनता, चारों औऱ अन्धेरें की पकड़ मजबूत हो जाती है, दम घुटने लगता है मेरा, आखिरकार थक हार के जब खुद कुएँ में शमा जाना चाहती हूँ ना जानें कयूं कुआँ मुझे बाहर उछाल देता है, समझ नहीं पाती जब खुद मे समाना ही नहीं है तो बार बार मुझे इस परिस्थिति मे लाती ही क्यूँ है, अब तो आलम ये है कि मैं खुद स्कून से उस कुएँ मे शमा जाना चाहती हूँ हमेशा हमेशा के लिए......

Location : Parwanoo Kasauli Road, Parwanoo, Himachal Pradesh 173220,

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