सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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काश

मै सोच रही हूँ हा मै तुम्हें ही सोच रही हूँ, तुम्हारी कहीं वो मिठी बातें अभी भी मेरे कानो मे शहद घोल रहा है, अपने प्यार के आवरण से मुझे जिंदगी भर ढक के रखने की वो बातें मुझे अभी भी सुन रहा है, जानती हूँ ये सिर्फ मेरा स्वप्न था जो टुट गया, काश मेरे स्वप्नों को तोड़ने से पहले आगह कर देते.....

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