मै कभी भूल नहीं सकती, यही शायद मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी है, कुछ बातें किसी की यादों मे शामिल हो जाता है, वही बातें किसी को दर्द के उस पराव पर ले जाता है जहाँ जिंदगी नहीं मौत सुहानी नजर आती है, किसी की एक मुस्कान जहाँ चेहरे पर चमक ला देती है वही उसकी बेरुखी खुद के नजरों मे गिरा देती है, जानती हूँ मेरी बातें किसी के समझ मे नहीं आयेगी, फिर भी मै लिखती हूँ, इसके पीछे भी वजह है, मेरी बचपन की सहेली हम दोनों मे बहुत प्यार था, एक दुसरे से हम घण्टों बातें करते थे, एक रोज हमेशा की तरह वो मेरे पास आई लेकिन हमेशा की तरह हमारी बात नहीं हुई, बातो का मुद्दा ही उसने मौत रखा, और मै आदत के मुताबिक इस बहस को भी जीतने की कोशिश मे लग गई, वो हंसती रही मै हसंती रही इस अहसास से दूर के सामने एक भयावना तुफान है जिसने मेरी प्यारी सहेली को अपने चपेटे मे ले रखा है, काश मै थोड़ी समझदार होती, लेकिन नहीं समझदारी से कोई वास्ता ना होने की वजह से उस दिन भी जीत मेरी हुईं, मौत के आसान तरीके बताने मे मै कामयाब हो गई, आज जब उसके जाते हुए कदमों को याद करती हूँ तो महसूस होता है वो नजरो से दूर जा रही थी लेकिन उसकी नजरें बहुत कुछ कहना चाह रही थी, लेकिन वो कुछ कह नहीं पाई, वो जा चुकि थी मै भी घड़ के अन्दर आ गई, उसी शाम मुझे बहुत घबराहट हुई, माँ को अपने पास आते देख अनायास ही मेरी जुवान बोल पड़ी माँ वो मर गई... उसकी मन की बातें उसके साथ खतम हो गई, सब भुल गये उसे, किसी ने जानने की कोशिश नहीं की उसने ऐसा क्यूँ किया, उस वक्त नेट भी नहीं था हमारे पास, जहाँ हम जैसे अपनी बातें लिख सके, जिनके जाने के बाद शायद कोई उसे समझना चाहे, हा मै इसलिए लिखती हूँ, जितेजी ना सही मेरे जाने के बाद कोई शायद मुझे भी समझने वाला हो, मेरे पास शायद अब ज्यादा वक्त नहीं है, या शायद इस दर्द को झेलने की हिम्मत नहीं है,
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