सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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तुम..मैं...हम♥

नहीं जानती मैं क्या लिखने वाली हूँ... तुम्हारे अलावा मेरे जेहन में कुछ और चलता भी तो नहीं... हर साँस में तुम इस कदर समा चूके हो के इक पल तुम्हें ना सोचें तो जान निकलने लगती है.. तुम मेरी जरूरत हो... लेकिन तुम्हारी यादें मेरी जिंदगी बन गई है.. तुम्हारे साथ बिताए वो कुछ पल मुझे पल पल अपने आगोश में समाये रखता है.. तुम्हारा वो मुझे सीने से लगाने की यादें आज भी मुझे हर गम से महफूज़ करतीं हैं... जब इन यादों का वेग अपने चरण सिमा पर पहुँच जाता है और इन आँखों को राहत नहीं मिलती तो चुपचाप से किसी कोने में रज़ाई के अंदर इन्हें बंद कर तुम तक पहुंच जाती हूँ... यक़ीन मानों तुम्हारे कंधों पे सर रख के इन आँसूओं का बहते रहना बहुत सकूं पहुँचाता है.. जानती हूँ तुम मुझसे बहुत दूर चलें गये हो लेकिन मैं तुमसे अलग हो ही नहीं पाई... मैं तो पल पल हर पल तुम में हूँ... तुम्हारे तुम के साथ जी रही हूँ.... याद है तुमने ही मुझे अपना ये तुम दिया था... बदले में मेरे मैं को लेके... तुम्हें क्या लगा तुम चले गये अपने मैं को लेके.... नहीं.... तुम्हें नहीं मालुम जल्दबाज़ी में तुम मेरे ही मैं को साथ रख लिये हो... तुम्हारा तुम तो हमेशा से मेरे पास है और ये मैं वापस नहीं करने वाली.. कभी नहीं... किसी भी किमत पर नहीं.....  देखों ना ये तुम.. मैं के चक्कर में कितनी उलझन सी हो गई....  सूनो मेरी मानों... कम से कम इक बारी तो मानों... भूल जाओ इस तुम को इस मैं को.... इसे हम ही रहनें दो... हम बस हम
देखा कितना सकूँ है इस हम में....  हम ♥

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2 comments:

Unknown said...

:) लाजवाब

निभा said...

शुक्रिया :)

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