सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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खुश हूँ ♥

तुम्हें ना देखूं तो जी घबड़ाने लगता है
इतनी देर हो गई.. कोई हलचल नही कोई आहट नहीं
ना जाने कहाँ हो तुम.. किस हाल में हो कुछ खबर नहीं
क्यूँ इतना सताते हो.. अब तो मैं इतनी दूर हो गई.. अब तो बंद करो तरसाना
लिखो कोई फसाऩा के मिल सके मेरे दिल को राहत का कोई बहाना
ना आऊंगी कभी अब सामने... ना कोई शिकायत ही करूँगी जानती हूँ तुम्हें फ्रक ना पड़ता कोई.. तुम्हें तो चाहे हैं औऱ भी जमाना.. मेरी चाहत नाकाम सही.. किसी और की चाहत तो रंग लाई... आखिर तुमसे .ही तो खुशियाँ हैं मेरी भले वो किसी और ने निभाई....  जो तुम्हें पसन्द है वो मुझे भी पसन्द है क्या हुआ जो हम तुम्हें नापसन्द हैं.. यही तो शायद मोहब्बत का धर्म है.. अब निभाना मुझे बस यही कर्म है.. खुशियों में तेरे जो भी संग है... मुझे उन सबसे प्रेम है..
तेरे बाद तेरी खुशियों के सिवा कोई चाहत ना रही.. हताश हूँ निराश हूँ खूद से लेकिन खुश हूँ तुम्हारे लिये बहुत खुश हूँ  ♥

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