जिंदगी इम्तहान लेती है मालुम है लेकिन ये इम्तहान.. जहाँ जित में तन्हाई.. हार में आँसू...
दो दिलों के बीच....
आप.. और ...तुम.. से... तूँ... तक का सफर जहाँ जिंदगी को जिने का एक नया वजह दे गया.. हर गम से दूर खुशियाँ ही खुशियाँ दामन में भर गया.... जब तक इस तूँ का स्वाद ना चखो तब तक समझ पाना बेहद मुश्किल है... के इस तूँ में कितना अपनापन.. कितना स्नेह... कितना लगाव है...
लेकिन जब दूर तक तूँ के साथ सफर तय करने के बाद अचानक आप से सामना होता है... तो मन व्यथित हो जाता है... दिल सिहर उठता है ये जानकार की वो आप.. आपको वापस लेने आया है... बहुत मुश्किल बहुत लाचार घड़ी होती है... वापस नहीं लोटना चाहते जहाँ वही आपको.. लौट जाना होगा... ये भाग्य की विडंबना ही तो है.. तूँ तक के सफर में एक हाथ आपको मज़बूती के साथ थामे होता है.. आने वाली हर आशक्ता से दूर किये हुए वो पल पल.. साथ साथ चलता है... वही जब वापिस... आप ...के सफर में लौटना होता है.. तो कोई साथ नहीं होता.. सिवाय उन पथरीले जमीन पर चलने का दर्द... आह.. ना कर पाने की चुभन... यादों से दिल में चुभता हुआ शूल...
हैं ये एक नई इम्तहान जिंदगी की... जिसे हर हाल में पूरा करना ही है. चुपचाप... खामोशी से... बिना किसी को ठेस पहुँचायें... चलें जाना है उस सफर पे... शायद ये सफर ही किसी अपने की चेहरे की मुसकुराहट वापस दे दें...... बस यूंही.... ♥
आप..तुम....तूँ ♥
20:59 |
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