कोई हलचल नहीं कोई घबराहट नहीं
जाने मन को आज क्या हो गया है ..
ना रोना चाहता है ना हँसना...
कोई उथलपुथल नहीं आज मन के किसी
कोने में ...चाह कर भी इसे किसी सोच की तरफ
नहीं ले जा पा रही ..
अचल सा बनता जा रहा ये मन ...
हर तरफ हरयाली पंछियों का शोरगुल
भूधर पे फैली खामोशियों को तोर नहीं सकती
शायद उसी प्रकार बनता जा रहा है ये मन ..
ना किसी पे दोष...ना किसी से रोष
चुप सा होता जा रहा गवाके अपना होश ..
ये सूखते अश्रु जेसे इस मन को खंडर सा
बनाते जा रहें हैं .. किसी भी चीज़ के प्रति
इच्छा दम तोड़ती सी महसूस होने लगी है
चाह कर भी मन में कोई ख्याल नहीं उठ रहा
दिमाग पूरी कोशिस लगा कर भी मन को
नीम बेहोशी में जाने से रोक नहीं पा रहा ...
मन का खत्म होना ही शायद शरीर का
जिंदा लाश में तब्दील हो जाना होता है ..
चाह कर भी अपनी ही कुछ तब्दीलियों को
रोकना जाने क्यों हमारे बस में नहीं होता
हम पूरी तरह से नाकामयाब हो जाते हैं ...
बहुत ही बेबस ..बहुत ही लाचार.....
जाने मन को आज क्या हो गया है ..
ना रोना चाहता है ना हँसना...
कोई उथलपुथल नहीं आज मन के किसी
कोने में ...चाह कर भी इसे किसी सोच की तरफ
नहीं ले जा पा रही ..
अचल सा बनता जा रहा ये मन ...
हर तरफ हरयाली पंछियों का शोरगुल
भूधर पे फैली खामोशियों को तोर नहीं सकती
शायद उसी प्रकार बनता जा रहा है ये मन ..
ना किसी पे दोष...ना किसी से रोष
चुप सा होता जा रहा गवाके अपना होश ..
ये सूखते अश्रु जेसे इस मन को खंडर सा
बनाते जा रहें हैं .. किसी भी चीज़ के प्रति
इच्छा दम तोड़ती सी महसूस होने लगी है
चाह कर भी मन में कोई ख्याल नहीं उठ रहा
दिमाग पूरी कोशिस लगा कर भी मन को
नीम बेहोशी में जाने से रोक नहीं पा रहा ...
मन का खत्म होना ही शायद शरीर का
जिंदा लाश में तब्दील हो जाना होता है ..
चाह कर भी अपनी ही कुछ तब्दीलियों को
रोकना जाने क्यों हमारे बस में नहीं होता
हम पूरी तरह से नाकामयाब हो जाते हैं ...
बहुत ही बेबस ..बहुत ही लाचार.....
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