सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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चाह♥

हज़ार अगल़ात सही मुझमें
इश्तियाक़ तुम्हारी रखते है 
धुल है हम ज़मी के 
चाह आसमां की रखते है 

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