अनजान से डगर पे सनम
तुमसे युहीं मिल गए थे हम
जिगर देख आब-ए-आईना
साथ चल परे कदम
तेरे इश्क के ख़ुमार से
गुलज़ार हुआ मेरा मन
साथ चलके तुम्हारे
निखर गए थे हम
दिन प्रतिदिन बढ़ती गयी
हमारी तृष्णा हमारी अभिलाषा
नब्ज़ की जुम्बिश तेज़ हुई
नासबूर मन में जाग उठी
पिया तुमसे मिलन की इच्छा
बे नज़ीर पिय को पा
संपूर्ण हुई मेरे मन की आशा
वो पल हुआ कितना मधुर
प्रेम पे चाह गया सुरूर
शुधबुध खो बैठें थे हम
बाहों में जाके तेरे सनम
गुलिस्तां बन महक उठी
जिस छन छुआ तुने ये तन
जन्मों जन्मों की प्यास जगी
सिहरन से भर उठा अंग अंग
तेरी बाहों की गर्मी से
पिघल रही मैं मंद मंद
तुझ में समाईं तुझ में खोई
सनम
रहती हूँ मैं छन छन
तुमसे युहीं मिल गए थे हम
जिगर देख आब-ए-आईना
साथ चल परे कदम
तेरे इश्क के ख़ुमार से
गुलज़ार हुआ मेरा मन
साथ चलके तुम्हारे
निखर गए थे हम
दिन प्रतिदिन बढ़ती गयी
हमारी तृष्णा हमारी अभिलाषा
नब्ज़ की जुम्बिश तेज़ हुई
नासबूर मन में जाग उठी
पिया तुमसे मिलन की इच्छा
बे नज़ीर पिय को पा
संपूर्ण हुई मेरे मन की आशा
वो पल हुआ कितना मधुर
प्रेम पे चाह गया सुरूर
शुधबुध खो बैठें थे हम
बाहों में जाके तेरे सनम
गुलिस्तां बन महक उठी
जिस छन छुआ तुने ये तन
जन्मों जन्मों की प्यास जगी
सिहरन से भर उठा अंग अंग
तेरी बाहों की गर्मी से
पिघल रही मैं मंद मंद
तुझ में समाईं तुझ में खोई
सनम
रहती हूँ मैं छन छन
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