सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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मेरी हसरतों के नाम... अपने कुछ पल करदे.. आज तूँ यूँही कुर्बान 
राह देख रही हैं... ये बोझिल आँखें... देह से जुदा हो रही ये जान

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