सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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उम्मीद

मैं और मेरी उम्मीद 
हमेशा रहते साथ साथ 
चाहें दिन हो 
या हो फिर रात 
हम कभी ना छोड़ते 
एक दूजे का साथ 
सुबह होते ही ये 

उम्मीद मेरे संग ही है जगती 
शाम होते होते ये उम्मीद 
मेरी जैसी ही है थकती 
मैं सो भी जाऊ तो 
ये है शायद जगी रहती 
आँख जों खुलती सुबह तो 
इसी उम्मीद को हूँ मैं 
सामने देखती ..
ये उम्मीद कभी मुझे तनहा 
नही है छोड़ती..
मुझे हर घड़ी अपने साथ 
ही जोड़े रखती ....
ये उम्मीद हमेशा ही 
मेरे साथ ही है रहती ...

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