भ्रम से निकलना बेहद मुश्किल है... खास कर उस भ्रम से जिससे
जिंदगी खूबसूरत नज़र आती हो... भ्रम तो आखिर भ्रम ही है..
एक ना एक दिन भ्रम यक़ीन के धरातल पर गिर कर चकनाचूर हो जी जाता है... अपने अनगिनत पीड़ा का बोझ हमारे दिल में सदा सदा के लिये दे जाता है... इस बोझ तले इक पल नही कटता. ना जाने पूरी जिंदगी कैसे कटेगी... लेकिन काटनी तो है ही.. आखिर ये खूबसूरत भ्रम भी तो मेरा ही था...इसलिये इस बोझ की पूरी हक़दार भी मैं ही हुई ..मैं बहुत मजबूत हूँ... मैं सब कुछ सह सकती हूँ... मुझे दर्द नही होता और नाही कोई तकलीफ़... ये सब तो इंसानों को होता है... मैं तो इंसान हूँ ही नही...... हाँ कुछ पलो के लिये भूल गई थी.. शायद इसलिये इतनी पीड़ा की अनुभूति हुईं...... नही अब नही होगी.. मैं आत्मा हूँ... और आत्माओं को कोई हक नही दुखी होने का... उन्हें तो भटकना होता है बस भटकना... बिना प्यार... बिना नफ़रत... बिना दुख बिना दर्द..... ना कोई दुख.... ना कोई सुख.... ना कोई पास.. ना कोई साथ..... बस एक अकेली आत्मा... भटकती आत्मा..... ्
भ्रम ♥
11:19 |
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