सिमट सी गयी मेरी जिंदगी
तुम्हारे आस पास कही,
पल पल की बेचेनी
हर पल की ये यादें
वो तेरी मीठी मीठी सी बातें
यूँ तेरा दिल की गहराइयों से हँसना
जब कभी आये गुस्सा तो बस
तुम चुप रहो कहना
बहुत याद आते है वो पल
एक ख़लिश सी दिल में
पैदा करते हैं वो पल
याद आतें हैं वो पल
जब पहली बार बिछरे थे हम कल
तुम्हारी आवाज़ का वो सर्द लहज़ा
वो तुम्हारी आखरी हिदायत
चेहरे पर गेसूओं को बिखरे ही रखने की,
रोते रोते हँस पड़ी थी
तुम्हारे ख़ालिस शब्दों को
दिल की गहराइयों में
उतरता हुआ महसूस कर रही थी,
ख्व़ाहिशो ने फिरसे पंख पसार दिए
हम तुमसे दूर कही जा ही नही पाए
सिमट सी गयी मेरी जिंदगी
तुम्हारे आस पास कहीं ,
खुदको महफूज़ समझती हूँ
तुम्हारे आप पास कहीं
हँसती हूँ मैं रोती हूँ
तुम्हारे खयालो में कहीं
तुम्हारी मुस्कुराहटों से
सवर जाती हूँ खिल जाती हूँ
मेरी दुनिया जेसे कहीं
तुममें ही है बसी
गुमसुम सी मैं हो जाती हूँ
खो जाती हूँ ....डूब जाती हूँ
तुम्हारी यादों में कहीं
तुम हो तो बहार है
तुम बिन कुछ भी नहीं
सिमट सी गयी मेरी जिंदगी
तुम्हारे आस पास कहीं ......
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