कुछ खुशियाँ इतनी अनमोल होतीं हैं... जिनका वर्णन करने के लिये शब्द बौने नज़र आते हैं.. खुशी इतनी के चेहरे की हर एक रेखाएँ मुसकुराते मुसकुराते दर्द से बोझिल हो जुब़ान से गुज़ारिश कर रहीं हैं.. कुछ कहने की.. .. कैसे समझाऐ इन रेखाओं को.. के आज इनके दर्द में बेहद राहत अनगिनत सकून है...
यूँ मालुम होता है...जैसे बड़े दिनों बाद आज आत्मा को भोजन मिला है... शरीर के लिये किया गया भोजन कभी आत्मा को संतुष्ट नही कर सकता... लेकिन आत्मा को मिले भोजन से शरीर के लिये भोजन लेने की प्रबलता प्रायः समाप्त सी लगने लगती हैं.... ये वो खुशियाँ होती हैं जिन्हें सिर्फ महसूस किया जा सकता है.. लेकिन किसी से बताया नही जा सकता और अगर बताना भी चाहे तो शब्द नही होते पास... या सुनने वाले नही मिलते.... शायद यही वे परिस्थितियाँ
हैं.... जब अपने अंतरआत्मा को और सही से जान पाते हैं...
:) ♥
आत्मा का भोजन ♥
09:48 |
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