सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
RSS

जी चाहता है ♥

कहर बरपा रही है तुम्हारी यादों की बारिश सरेआम भींग जाने को जी चाहता है ♥
तुम में समा जाने को बेसुध हो जाने को जी चाहता है ♥
वो पल जो शायद कभी नही लौटेंगे आज उन्हीं पलो में डूब जाने को जी चाहता है ♥


  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

0 comments:

Post a Comment