सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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फैसले

कभी कभी कुछ फैसले लेने में सदियाँ गुज़र जाती है।। इसलिये नही के फैसला सही होगा या गलत।। बल्की इसलिये के वो फैसले सिर्फ और सिर्फ आपको तोड़ के रख देते हैं छत विछत कर देते हैं ह्रदय को।।जब आपको यकीं होता है तिल तिल कर मरना आपको ही है तब आसान हो जाता है ये फैसले लेना।। फ़ेसला ले या ना लें ये सोच उस वक़्त  खत्म सी हो जाती है जब आपको अहसास हो जाता है के आपके फैसले से किसी का कुछ बुरा नही होगा ना किसीको कोई फ़्रक ही पड़ेगा बल्की आपके फैसले से किसी अपने के मन को राहत मिलेगा।।। जब परिस्थितियों को भुगतना ही है तो अकेले क्यूँ नही।। क्यूँ किसीको इस आंच की ताप भी महसूस हो।।।

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