तेरे स्नेह की कुछ बूंदों में
गुज़र रही थी मेरी सुबह शाम
यूँ तो दूर था तूं मुझसे
पर तेरे दिल के क़रीब
खुदको जान
मिल जाता था सकूँ
आ जाता था आराम
एक तेरे दिल से क्या गई
ये जिंदगी नर्क सी बन गई
क्या करूँ कहाँ जाऊं
ना एक पल सकूं है
ना इक पल आराम
देख तेरी तस्वीर
सिने से लगा लेती हूँ
मैं वो अभागन हूँ जो
दूर होके तुझसे
ज़ीने की सज़ा काटती हूँ
हो आँखों के सामने
यही भाग्य मैं मनाती हूँ
दूर से ही सनम तेरा
दीदार मैं करती हूँ
चुपके चुपके तुझ संग
बातें हज़ार करती हूँ
भनक ना लग जाये कही तुझे
इसलिए मन ही मन तुम पे
हर पल मैं मरती हूँ
तेरे बिना कुछ नही रहा
इस जीवन में
तेरी यादों को सिने में दबाये
जीती हूँ
गुज़र रही थी मेरी सुबह शाम
यूँ तो दूर था तूं मुझसे
पर तेरे दिल के क़रीब
खुदको जान
मिल जाता था सकूँ
आ जाता था आराम
एक तेरे दिल से क्या गई
ये जिंदगी नर्क सी बन गई
क्या करूँ कहाँ जाऊं
ना एक पल सकूं है
ना इक पल आराम
देख तेरी तस्वीर
सिने से लगा लेती हूँ
मैं वो अभागन हूँ जो
दूर होके तुझसे
ज़ीने की सज़ा काटती हूँ
हो आँखों के सामने
यही भाग्य मैं मनाती हूँ
दूर से ही सनम तेरा
दीदार मैं करती हूँ
चुपके चुपके तुझ संग
बातें हज़ार करती हूँ
भनक ना लग जाये कही तुझे
इसलिए मन ही मन तुम पे
हर पल मैं मरती हूँ
तेरे बिना कुछ नही रहा
इस जीवन में
तेरी यादों को सिने में दबाये
जीती हूँ
2 comments:
ap na etna kuch likha or etna acha ...i like it ..tnqqq
The WorkPlace : नयी सोच और नयी तकनीक के साथ नये युग की शुरुवात
शुक्रिया आभार आपका ........
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