सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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तेरी याद हैं आये

जब भी पिया मेरे 
हैं मुसकाए 
हर ज़र्रे से 
खुश्बू आये 
तन भी महके 
मन भी महके 
याद पिया की 
जब भी आये 
जब भी सोचें 
तेरी बतियां 
लाली चेहरे की
हैं गहराए हर ज़र्रे से
खुश्बू आये
जब जब देखूं
मुखरा सजन की
सिने से दिल
निकला जाये
फूल पत्ती
बादल पंछी
इनसे ही
हाल ए दिल
हम सुनाए
जा री हवा
मेरे पिया जी से कह दे
तेरी बावरी से
रहा ना जाये
जब जब पिया जी
तेरी याद हैं आये
झड़ झड़ नैना 


अश्क बहाये
कैसे तोहे
समझाऐ पिया मेरे
तुझ बिन इक पल
चैन ना आये
लौट के आजा
सिने से लगाले
दिल से निकले
यही सदाएँ
कैसे कहूँ
किससे कहूँ पिया
मेरा दर्द कोई
समझ ना पाये
पल पल पिया जी
तुम याद आये
जब भी पिया मेरे
हैं मुसकाए

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