घना कोहरा अज्ञान
मन का एक दिन छट जाएगा
सूर्य का प्रकाश ज्ञान बन
चहुँ ओर फ़ैल जाएगा
ना होगा कोई भेद दिलों में
ना होगा कोई भाव अलग
मिलजुल चलेंगे सब एक राह
लड़ने का ना होगा कोई सबब
सुख़ से जिंदगी गुज़रेगी
चैन की नींद लेंगे सभी
गैरों के दुःख को अपना
समझेंगे तभी
अपनी चंद ख़ुशियों के ख़ातिर
किसी और की ख़ुशियों की बलि
ना कोई चढ़ाएगा
अपने सम्मान को कायम रख
किसी का अपमान ना कोई करेगा
हर तरफ़ अमन चैन की बयार बहेगी
आएगा वो सुबह जब हर कलि चहकेगी
छट जाएगा कोहरा एक दिन
सूर्य की किरणें तब फैलेगी....!!! #बसयूँही
2 comments:
सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं. आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.
शुक्रिया संजय जी...मुझे शब्दों का ज्ञान नही बस जो मन में आता है लिख देती हूँ...पसंद करने के लिए आभार आपका.......
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