सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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#बसयूँही.....!!!

बस यूँही ढ़लते ढ़लते जिंदगी की शाम ढल जायेगी
उम्मीदों के साये तले कुछ हसरत ज़वा रह जायेगी #बसयूँही

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1 comments:

SHOBRANI KI BLOGG said...

attractive line.........

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