सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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कैसे समझाऊ ...!!!!

तेरी बतियां
जगाये मोहे सारी रतियाँ हो....
कासे कहूँ सजन
तुम बिन लागे ना मन
कटे ना दिन कटे ना रैन
आंसू बहायें अँखियाँ हो....

तोसे करने को बातें
तरसे हैं मोरा ज़िया
आजा रे आजा बालम
आजा ओ मोरे पिया
जुदाई का आलम जानम
दिल को रुलाये
तेरे बिन भाये ना कुछ भी हाय
साँसों की माला मेरी
टुट टुट जाये....
देखूँ तुझे ना तो
मन घबराये
कैसे समझाऊ प्रीतम
ज़माने को बतियाँ
निश दिन पल पल मोहे
समझाये दुनियाँ
तुमसे ही चैन सारे
तुझसे ही रंग है
तुम बिन सजन मोरा
जीवन बेरंग है
दर्द का रिश्ता तुम संग
मेरा अनमोल है
अहसासों का बंधन सनम..
गहरा मज़बूत है...!!!!

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