सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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बस यूँही....!!!

झूठ के गहनों से छल का......होता है श्रृंगार
विश्वास के डोर से बांध दुनियाँ करती है वार...!!!

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