सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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तेरी चाहत में......!!!

रखूंगी दिल में सदा तुझे मैं सम्भाल कर चाहतों का मेरी तूं यूँ न हिसाब कर
मोहब्बत की मारी हूँ तेरी दीवानी हूँ दे सज़ा जो चाहे मैं तो हारी हूँ
शिकवा शिकायत क्या तुझसे करूँ मैं जो समझा तूं ही ना किससे कहूँ मैं
तेरी चाहत में जानम सब कुछ लुटाई हूँ चैन भी गँवाई नींद भी मैं खोई हूँ
मोहब्बत की दास्ताँ दर्द की ये इन्तेहाँ संग मेरे हर पल सनम जाऊँ मैं कहाँ
मोहब्बत के गम को सनम कलेज़े से लगाके रखती हूँ यारा ज़माने से छुपाके
मुझसे दूर है तूं मेरे ही क़रीब है तेरी नज़रों में नहीं मेरा ये नसीब हैं
तन्हा सा ये सफ़र विरान सी है डगर यादें तेरी सनम अब तो हर पहर~~!!!


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