सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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चुप रहो कुछ ना कहो~!!!

कुछ मत बोलो
ये मौसम है
चुप रहने का
बंद आँखों से
ठंडी हवाओं को
महसूस करने का
बारिश की मीठी सी ध्वनि को
चुप शांत मन से सुनने का
ना कुछ मत बोलो
खो जाने दो
बह जाने दो
रोम रोम को मेरे आज
इस मौसम में डूब जाने दो
अद्भुत अपूर्व इस अनुभूति को
मुझमे रच बस जाने दो
ऊफ़्फ़___ये बारिश
ये हवाएँ ठंडी ठंडी
नाचती अटखेलियाँ करती
मनचली ये बूंदे
बाँहों में समा लेने को
बेताब से ये बादल
बस अब खो जाने दो
चुप रहो
कुछ ना कहो
मुझे खो जाने दो
इस मौसम का
बस यूँही मुझे
आज हो जाने दो~!!!#बसयूँही

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