शीतल बहार संग
आया त्यौहार है
प्रेम की फ़ुहार में
भिंगता घर द्वार है
दिलवर की मुस्कान है
तो ख़ुशियों का अंबार है
बज़ रहा है साज़ दिल में
गीत गा रहा मन प्राण है
चमक साजन की आँखों में
रौशन आज मेरा संसार है
खनकती चूड़ियाँ कलाई में
पाज़ेब करती ख़ूब झंकार है
गीत में मिठास है
तेरा जो साथ है
खिला है गुलशन मन का
महकता लाल ग़ुलाब है
हर तरफ असर गहरा
तूं मुहब्बत वो ख़ास है
भर दी यूँ झोली मेरी
दूर हुए गीले शिक़वे
मिट गया हर दाग़ है
प्यार की चादर लपेटे
आया ख़ुशियों भरा
हर त्यौहार है~!!!
तेरा जो साथ है~!!!
08:04 |
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11 comments:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (01-11-2015) को "ज़िन्दगी दुश्वार लेकिन प्यार कर" (चर्चा अंक-2147) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चा मंच में स्थान देने हेतु आपका आभार आदरणीय शास्त्री जी~!!!
बहुत सुंदर
शुक्रिया आपका ओंकार जी
शानदार रचना की प्रस्तुति।
सुन्दर भावाभिव्यक्ति
सुन्दर भावाभिव्यक्ति
आभार आपका रचना पसंद करने हेतु।
धन्यवाद आपका श्याम जी
सुंदर मनभावन :)
शुक्रिया :)
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