नाम तेरा जपते जपते
मैं जोगन बन जाऊँ
बन जा मेरा किशन कन्हैया
मैं राधा तेरी कहलाऊँ....
काँटों की सेज़ पिया
विरहन का भाग्य कहलाए
जो चल दे उस डगर वो
पार कहीं न पाए....
लौट के जो आओ प्रिय
बाँहों का हार बिछाऊँगी
देख देख सूरत तेरी
आँखों में खो जाऊंगी....!!! #बसयूँही
1 comments:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (07-08-2016) को "धरा ने अपना रूप सँवारा" (चर्चा अंक-2427) पर भी होगी।
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हरियाली तीज और नाग पञ्चमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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