करते हो तुम
अक़सर
तन्हाइयों में
मुलाक़ातें
उदासियों से
जी भर बातें
सुनाते हो तुम
अपने ग़मगीन
दिल की
आँसू भरी वो रातें
ग़र मैं पूछूँ तुम्हें कैसी दिखती है ये उदासियाँ बताओ होती है क्या तन्हाईयाँ__? रखकर हाथ दिल पर संग ईमान का लेकर तुम कहो क्या कहोगे__?
तुम सोचोगे पन्नें किताबों के पलटोगे तुम ढूंढ़ोगे पंत्ति पंत्ति शब्द महंगे चुन लाओगे ताकि दे सको इक असरदार विवरण उन पलों का उन चेहरों का
जिन्हें तुंमने
ग़र मैं पूछूँ तुम्हें कैसी दिखती है ये उदासियाँ बताओ होती है क्या तन्हाईयाँ__? रखकर हाथ दिल पर संग ईमान का लेकर तुम कहो क्या कहोगे__?
तुम सोचोगे पन्नें किताबों के पलटोगे तुम ढूंढ़ोगे पंत्ति पंत्ति शब्द महंगे चुन लाओगे ताकि दे सको इक असरदार विवरण उन पलों का उन चेहरों का
जिन्हें तुंमने
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