सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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मुरली वाले__❤

मुरली वाले तू सुनले पुकार
नैया मेरी, फंस गई मजधार___
भूल हुई तुझको न जाना
दिलने कभी तुमको न माना
तुझमें ही सारे संसार का सार
मुरली वाले तू सुनले पुकार
नैया मेरी, फंस गई मझधार
किस को पुकारूँ कौन सहारा
किस को पुकारूँ कौन सहारा
तुझपे ही मैंने तन मन हारा
कर दे तू बेड़ा पार
मुरली वाले तू सुनले पुकार__
हर तरफ रिश्तों का मेला
काम क्रोध सुख दुःख झमेला
किसपे करें अब एतवार
मुरली वाले तू सुनले पुकार
नैया मेरी, फंस गई मझधार___|||

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7 comments:

Jyoti khare said...

वाह बहुत सुंदर
बधाई

निभा said...

अनेक धन्यवाद आपका ज्योति जी 💐

Onkar said...

बहुत बढ़िया

'एकलव्य' said...

आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ०५ फरवरी २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

Lokesh Nashine said...

बहुत खूब

निभा said...

बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी का💐

India Support said...

Ration Card
आपने बहुत अच्छा लेखा लिखा है, जिसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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