सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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तुमसे तुम्ही तक

एक सदी के समान जब लगने लगे दिन
मन मे आये बुरे ख्याल, सब सुख चैन जायें छिन
क्या करू क्या ना करू, कुछ समझ ना आये
तुझ तक सन्देश कैसे पहुँचे?
क्यू तुझे मेरी याद ना आवे?
मेरे मन पे कब्जा जमा बैठ गया तू मौन
प्रीत की दोषी मै ही नहीं तूँ भी है सजन ♥

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