सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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♥मौसम♥

मौसम के मिज़ाज़ का कभी कुछ पता नहीं चलता, कब.तेज गरमी से  जलाने लगता है, कब बारिश की ठंण्डी बूंदों से सहलाने लगता है, आज इन अचानक आई तूफानों से अहसास हुआ के मेरा मन भी इन मौसमों की तरह हैं, कभी तूफानों के आने से पहले का सन्नाटा पसर जाता है तो कभी अचानक ही आई बारिशों की तरह खुशी से झुमने लगती है, अक्सर भुल जाती हूँ मै, मौसम कभी एक जैसा नहीं रहता. बारिशें आके गुज़र जाती है, फर्क बस इतना है  के मेरे मन की बारिशें आँखो से छलकने लगती है, और फिर से करतीं है इन्तजार
बस इन्तजार उस बारिश का जहां आँखें नहीं आंसमान बरसे♥

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1 comments:

Deependra said...

वाह बेहद सुन्‍दर...

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