ना जाने क्यूँ तुम्हारे प्रति मेरी फिक्र बढती जा रही है, तुम्हारे हँसने की आवाज़ शाम ढलते ढलते फिकी सी होती गई, कहीं ऐसा तो नहीं मेरी हंसी के खातिर अपने गमों पे परदा डाल तुम हँसे थे? तुम्हें मालुम है ना मै भी प्रेम मे हूँ, हाँ ये सच है तुम कामयाब हुए मुझे खुश करने मे, लेकिन वो तो पल भर की मेहमान निकली, दिल उदास परेशान हो तो भला रूह कैसे चैन पा सकती है, जानते हो मुझे अपनी ख्यालों की दुनिया क्यूँ पसन्द है, क्योंकि वहाँ मुझे वो दिखता है जो सच है, चूँकि मैने तुम्हें वहाँ शामिल किया है इसलिए तुम कहो चाहे ना कहो तुम्हारे कदमों की हर आहट मुझ तक पहुंचती
है, जब तुम तक पहुंचने का तुम्हारे हाल जानने का कोई रास्ता नहीं मिलता तब मै अपनी दुनिया मे चली जाती हूँ, परंतु आज तुम मुझे बहुत परेशान लगे, ये देख मन बहुत विचलित है, नहीं जानती कैसे मै तुम्हारी थोड़ी सी खुशियों की वजह बनू, लेकिन मै बनना चाहती हूँ, नहीं चाहती तुम मुझे हँसाने के लिए हँसो, मै चाहती हूँ तुम मुझे देख के हँसो, दिल से खुश हो के हँसो, मेरी खुशी के लिए अपने गमो पे परदा नहीं बल्की मेरे साथ बाटों, मुझे तुम्हारी एक पल की नहीं जिंदगी भर की हँसी चाहिए, तुम्हारी हँसी के साथ मेरी खुशी जुड़ी है... ♥
तुम्हारी हंसी मे है मेरी खुशी
11:39 |
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