याद है तुम्हे
जब हम पहली बार मिले थे ..
एक दुसरे से बिलकुल अनजान ..
ना तुम मुझे जानते थे
ना मै तुम्हे
हम दोनों ही सफ़र में थे
राहगीरों की तरह
युही बिना सर पैर की वो हमारी बाते ..
जो कभी कभार बस युही
हो जाया करती थी ..
सफ़र लम्बा था
बाते भी लम्बी होने लगी ..
कब एक दुसरे के
बातों में हम खोने लगे
ना मै जान सकी
ना ही तुम
लेकिन अब सोचती हूँ
तो महसूस य़ू होता है
हम दोनों एक दुसरे में नहीं
बलकी हमारी बातें
हमारे शब्द
एक दुसरे में खो गए थे
उन्हें आपस में प्रेम
हो गया था
मेरे शब्दों को
इंतजार रहने लगा
तुम्हारे शब्दों का
होता भी क्यों ना
वो एक दुसरे का साथ
बखूबी देते भी थे
और हमारे सफ़र को
एक हसीन सफ़र
बना रहे थे
और यूही
हम सफ़र में
चले जा रहे थे
मुझे पता नहीं था
तुम कहा उतरोगे
ना ही मै तुम से पुछ पाई
अचानक ही तुम्हारे
शब्दों ने खुद को
समेटना शुरू कर दिया
तो बातों का सिलसिला भी
कम हो गया
मै सोचती ही रह गयी
और तुम मेरे साथ छोड़
चले गए ....
बिना कुछ कहे
बिना कुछ बोले बस चले गए
बस यूही
जब हम पहली बार मिले थे ..
एक दुसरे से बिलकुल अनजान ..
ना तुम मुझे जानते थे
ना मै तुम्हे
हम दोनों ही सफ़र में थे
राहगीरों की तरह
युही बिना सर पैर की वो हमारी बाते ..
जो कभी कभार बस युही
हो जाया करती थी ..
सफ़र लम्बा था
बाते भी लम्बी होने लगी ..
कब एक दुसरे के
बातों में हम खोने लगे
ना मै जान सकी
ना ही तुम
लेकिन अब सोचती हूँ
तो महसूस य़ू होता है
हम दोनों एक दुसरे में नहीं
बलकी हमारी बातें
हमारे शब्द
एक दुसरे में खो गए थे
उन्हें आपस में प्रेम
हो गया था
मेरे शब्दों को
इंतजार रहने लगा
तुम्हारे शब्दों का
होता भी क्यों ना
वो एक दुसरे का साथ
बखूबी देते भी थे
और हमारे सफ़र को
एक हसीन सफ़र
बना रहे थे
और यूही
हम सफ़र में
चले जा रहे थे
मुझे पता नहीं था
तुम कहा उतरोगे
ना ही मै तुम से पुछ पाई
अचानक ही तुम्हारे
शब्दों ने खुद को
समेटना शुरू कर दिया
तो बातों का सिलसिला भी
कम हो गया
मै सोचती ही रह गयी
और तुम मेरे साथ छोड़
चले गए ....
बिना कुछ कहे
बिना कुछ बोले बस चले गए
बस यूही
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