सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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इश्क♥

इश्क.... एक गहराई है इस शब्द के कानों में पड़ते ही दिल महसूस कर लेता है इसकी गहराई... जिंदगी के कौन सी मोड़ पे कब कहाँ कैसे इससे सामना हो जायें कोई नहीं जान सकता... बेहद खूबसूरत.. बेहद भावुक बहुत ही नसीली होती है ये इश्क... एक नज़र में आप पे हावी होने का हुनर जानती है ये इश्क... सुध बुध बिसराने में विलक्षण होती हैं ये इश्क... खूद में शमा के दुनिया से बेगाना कर देती है ये इश्क... अपनी नशीली आँखों के नशे से सब कुछ भूला देने पर विवश करती है ये इश्क... ये इश्क है... इसकी गहराई... आसमानों की सैर करवाती है....  ये होती है जब साथ.. जिंदगी जन्नत लगती है... इसकी खुशबू से पूरा बदन महकता रहता है..
सदियों को पल बना देती है ये इश्क....
ये इश्क है... जो जुड़ी है जिंदगी के साथ... जिंदगी कहाँ ठहराव भड़ी होती है...... जिंदगी भी तो चलती रहती है.... कभी कभी ये इश्क पीछे छुठ जाती है..... इस इश्क का साथ छुठ जाना.. जैसे.. आसमान से जमीन पर गिरना..... नर्क की वो जमीन जहाँ हर तरफ़ शुल बीछें होते हैं... चुभते रहते हैं.. खुशबू वाले बदन को खून से तरबतर कर देते हैं... अपने ही खून की महक इस कदर बदबूदार महसूस होने लगता है के हर एक साँस घुटन सी लगती है...
इश्क की गहराई के बाद सिर्फ कब्र की गहराई मन को भाती है...
यहीं तो इश्क है..... जानलेवा इश्क....
जो हो सीने में दम
तभी मिलाना
इस इश्क से कदम ♥

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