सत्य प्रेम के जो हैं रूप उन्हीं से छाँव.. उन्हीं से धुप. Powered by Blogger.
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प्रिय तुम देव स्वरूप♥

प्रिय
तुम देव स्वरूप हो
तुम्हारी आँखों में है
बरसता प्रेम...
जिनकी कुछ बूँदें
काया कंचन कर दें
तुम्हारे हाथों में छिपा हैं
असीम स्नेह...
विचलित मन को शांत
निर्मल कर दें...
तुम्हारे बोल हैं
बड़े अनमोल...
कानों में देते
मिस्री सा घोल...
तुम्हारे चरणों में है
सारा सकून
तन मन जो
पावन कर दे...
हो जो कोई खुशी
पास हमारे
हम तुमपे ही अर्पण कर दें
प्रिय तुम हो ही देव समान
तुमसा ना दूजा कोई ♥

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